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मंजिल

रंग है अलग-अलग,
तराना तो एक है,
जिंदगी के सफर के,
पड़ाव हैं अलग-अलग,
मंजिल तो एक है,
रुकना नहीं है कभी,
चलते जाना है सदा,
नया कुछ, राह से सीखते हुए,
जो मिले अपना सा, उसे अपनाते हुए,
और बाधाओं से नया सबक लेकर,
निशान हर राह में छोड़ते हुए, अपनी उपस्थिति के,
कदम बढ़ाने हैं मंजिल की ओर,
मन में रखते हुए विश्वास,
जो ठाना है पाने को,
पाकर रहेंगे,
आसमां भी साथ होगा,
समय का नहीं पता, पर मन का विश्वास,
जीत की तरफ ले जाएगा,
भले ही अंधेरा राह में रुकावट बने,
उजाले के साथ सूरज चमकेगा,
उम्मीद का दिया हाथ में लेकर,
हर कदम नये उत्साह से बढ़ाना है,
जो बीत गया, बुरा सपना समझकर,
भूल जाना है,
आने वाली मंजिल के सुखद स्वप्नों को ध्येय बनाकर
हर रुकावट को निकृष्ट करना है,
मन की शक्ति का बल है पास,
तो संजोए सपने जरूर पूरे होंगे,
मान-सम्मान मंजिल पर करेंगे प्रतिक्षा,
नई ऊर्जा का रथ रहेगा साथ सदा,
स्फूर्ति और वैचारिक ताज़गी महकाएगी,
जीवन की सार्थक, सुखद यात्रा,
नव स्वप्न कोपल से खिलेंगे,
हर बार नयी आशा की किरण के साथ,
मिलेगी मंजिल जरूर,
एक नये रूप के आगाज़ और अंदाज के साथ।।

One thought on “मंजिल

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