ये रात मेरी सहेली है, मेरी अपनी सी,
जो मुझे समझती है,
मेरे हर ख्याल को पालती पोसती है,
मेरी हर बात पर ताल देती है,
रात और मेरा साथ एक सगंम है
समझदारी का
ये रात मुझे सिखाती है,
आत्मनिर्भरता
समेटती है मेरे दुख दर्द,
मुझे सुनती है ये रात,
समझती है मेरे दिल की आवाज़,
इसका हर पहर मुझे इसके करीब लाता है
समय देती है ये मुझे प्रियतम की तरह
बहुत प्रिय है ये रात मुझे प्यारी सहेली सी
क्यूंकि मेरा दुख दर्द में रात समा लेती है खुद में
और मुझे आजाद कर देती है