खिले तो गुलाब सी महकती है जिंदगी,
बुझे तो चिराग की ठंडी राख सी है जिंदगी,
हर कोई आधीन है अपनी इच्छाओं के,
जीवन के रंगमंच पर नाच रहे हैं,
इच्छाओं को पूरा करने की अंधाधुंध दौड़ में,
चमकदार लिबासों में छिपा कर असलियत
झूठ के पीछे भाग कर बिता रहे हैं जिंदगी,
सितारों के आगे जहां और भी है,
बचपन से सुनते आए हैं कहानियों में,
उसी जहां की तलाश में जी रहे हैं जिंदगी,
कागज़ पर उकेरी हैं कुछ सुंदर तस्वीरें,
रंग-बिरंगी सजीव सी, कल्पना को साकार करतीं,
एक बेइंतेहा खूबसूरत सी जिंदगी की कल्पना,
क्यूंकि कल्पना में ही जी सकते हैं सपनों सी जिंदगी,
अपना-पराया, इच्छा-अनिच्छा के पलड़ों में झूलती,
हर कदम लड़खड़ाती नये सबक सिखाती है जिंदगी।।
इन्दु तोमर