“आत्मविश्वास”
ये सफर यूं ही चले हंसते हंसते,
थाम कर कुछ हाथ, लेकर कुछ साथ,
ना संशय, ना अविश्वास,
लेकर हर पल नयी आस,
स्वयं को लेकर साथ,
स्वयं पर कर के विश्वास,
इस सफर को पूरा करना है,
आत्मविश्वास की लौ जला कर
उजाले की ओर जाना है,
अंतर्मन की सुनकर, सबको साथ लेकर,
एक नयी मंजिल को पाना है,
कदम थमेंगे जरूर, रुकेंगे नहीं,
हो सकता है सफर में,
हाथ और साथ बदल जाएं,
पर मंज़िल पर जो साथ ध्वजा देगा,
वहीं हमकदम, शिखर सम होगा,
ये सफर यूं ही चलेगा,
जब तक है सांस में सांस,
ना रुकेंगे, ना झुकेंगे
बुलंदी को करके सलाम
चलते चलेंगे इस सफर पर यूं ही हंसते-हंसते
थाम कर कुछ हाथ, लेकर कुछ हाथ।।
‘इन्दु तोमर’