मां आप ममतामई ईश्वर की मूरत हैं
अनोखी हैं आप
समाये हैं आपमें सब गुण
मैं प्रतिमूर्ति हूं आपकी
पर आप सी ना बन पायी
वो रातभर मेरे दर्द से जागना
मेरी परेशानी में मेरी ढाल बन जाना
आज भी कोशिश करती हूं आपसा होना
हिम्मत देकर मुझे बहादुर बनाना
हर बार गिरने पर कपड़े झाड़कर
मुझे फिर भागने के लिये तैयार करना
मेरे हर गुण को पहचान ना
और फिर हथियार बनाकर
मुझे सिखाना
मां आज भी चाहती हूं आपसा बनना
विनम्रता , विपरीत परिस्थितियों में भी
हिम्मत की द्योतक हैं आप
मुस्कान आपका मजबूत अस्त्र है
सादगी आपकी पहचान
आज भी जमाने के रंगों से
अनछूई हैं आप
बहुत चाहकर भी आपसा होना
आप ही ना बन पाई मैं।
आज भी मेरी बेटी की
नानी नहीं दोस्त हैं आप
अपने गुणों की बेल
समाहित कर रहीं हैं आप
प्यार की मूरत ममतामई ईश्वर की मूरत हैं आप
( मेरी प्यारी मां के लिये MOTHER’S DAY पर मेरी कलम से)