
क्या क्या कर जाना है
बहुत लम्बा और कठिन है डगर
मगर फिर भी बहुत दूर तक जाना है
क्योँ रोते हो अपने दुखों पर
देखो दुनिया में कहाँ कोई बे-गम है,
घर से बाहर तो निकलो
यहाँ सब बेदम है ।
नमक की लिए पोटली
जले की तलाश में
सब घूम रहे है यहाँ,
मरहम बन कर तुम
किसी का घाव को भर दो ,
सब पा लोगे जिंदगी में
जान लो तुम,
न खुद रोना
न किसी को रुलाना है
रास्ते- मंजिल , सफर -हमसफर
सब मिल जायेंगे ऐ दोस्त
बस ठान लो कि
हो कैसा भी समय
बस हँसना और सबको हँसना है ।
चार ही दिन की जिंदगी में
क्या क्या कर जाना है
बहुत लम्बा और कठिन है डगर
मगर फिर भी बहुत दूर तक जाना है